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Friday 24 March 2017

प्लास्टिक को तेल में बदलकर प्रियंका ने जगाई नई उम्मीद

अनगिनत बोतलें, बैग और प्लास्टिक के बने सामानों से दुनिया भर के कूडे़दान भरे रहते हैं। लेकिन अगर ऐसा हो कि इस कूडे़ दान कोर सायनिक तरीके से परिवर्तित कर दोबारा काम में आने वाली चीज़ें बनाई जा सके? यही लक्ष्य है पीकेक्लीन का। यह कंपनी प्लास्टिकजैसी पर्यावरण के लिए हानिकारक चीज़ से उर्जा हासिल करने के लिए स्वच्छ और उर्जा से भरपूर तेल मेंबदलने का काम करती है।इस कंपनी को साल 2009 मेंअपने उत्कृष्ट काम के लिए सम्मानित किया जा चुका है औरकंपनी को देश दुनिया में अलग-अलग मुकाम दिलाया है, इस कंपनी की सहसं स्थापक प्रियंका बकाया उद्यमी होने के साथ साथ वैज्ञानिक भी हैं। प्रियंका ने बताया किप्लास्टिक सबसे खतरनाक कचरा है, क्योंकि यह सदियों तक नष्ट नहीं होता।


इसके बाद भी हैरानी की बात यह है कि हम अरबों टन प्लास्टिक ज़मीन में दबाए जा रहे हैं। प्लास्टिक तेल से बनता है और इस वजह से उर्जा से भरपूर भी होता है। ऐसे आया प्लास्टिक से तेल बनाने का विचार प्रियंका जी ने बताया कि उनकेमन में प्लास्टिक से तेल बनाने का विचार तब आया जब वह मेल बर्न शहर में रहती थी। वह छोटी थी और पर्सी कीन नाम के उनके परिवार केएक दोस्त थे। जो कई तरह के शोध कर चुके थे। प्रियंका जी ने बताया कि श्री मान पर्सी कीन जी ने शादी नहीं की थी और उनके बच्चे नहीं थे और प्रियंका उन्हें अपने दादा जी केस मान मानती थी। वह बताती है कि उनका घर एक बड़ी प्रयोग शाला जैसा था।

उन्होंने बताया कि उन्होंने पर्सी को कई बार तेल से आग जला ते देखा था। पर्सी ने उन्हें बताया था कि यह तेल उन्होंने कचरे से बनाया है।बचपन में प्रियंका जी उनसे बहुत प्रभावित थी।95 साल की उम्र में पर्सी जी कासाल 2007 में निधन हो गया। उन्होंने कचरे से ईंधन बनाने का जो तरीकाखोजा था, उसकी न तो बडे़ पैमानेपर टेस्टिंग हुई और न ही उसका व्यवसायिक इस्तेमाल हुआ। लेकिन उन्होंने अपनी इस खोज के बारे मेंजो विस्तृत नोट्स बनाये थे, वे ही प्रियंका जी के काम आये। प्रियंका के मुताबिक जब पर्सी जी का निधन हुआ तब वह न्यू यॉर्क में एनर्जी एनालिस्ट के तौर पर काम कर रही थी। 

वह देखती थी कि कैसे कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।साथ ही गैर पारंपरिक ऊर्जा देने वाली चीजें भी महंगी होती जा रही थीं। प्रियंका बकाया ने बताया कि जब उन्होंने ऐसा देखा तो उन्हंे पर्सीजी की याद आई। उन्होंने पर्यावरणको साफ रखने वाली कई ऊर्जा तकनीक की खोज की थी। जब उन्होंने इस और ध्यान दिया तो पाया कि प्लास्टिक से ईंधन बनाने का तरीका सबसे अच्छा है और इसे बड़े स्तर पर भी किया जा सकता है।इस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए प्रियंका ने पीके क्लीन कंपनी बनाई। पीके यानी पर्सी की नके सम्मान में। वह उस दौरान मैसा च्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफटेक्नोलॉजी में ऊर्जा क्षेत्र में ग्रेजुएट विद्यार्थी के तौर पर पढ़ाई कर रहीथीं।

यह कंपनी फिल हाल यूटा की सॉल्ट लेक सिटी में स्थित है। पीके क्लीन ने साल 2010 में भारत में भी एक पायलट प्रोग्राम चलाया था। प्रियंका को उम्मीद है कि प्लास्टिकसे ईंधन बनाने का यह काम इस दशक के अंत तक उनकी कंपनी दुनिया भर में करने लगेगी। पीके क्लीन को अब तक कई सम्मान मिल चुके हैं। इनमें से एक है प्रतिष्ठित एमआईटी क्लीन एनर्जी सम्मान। यह सम्मान साल 2011 में गैर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के लिए मिला था।प्रियंका ने बताया कि वह बिना टीम के सहयोग के पीके क्लीन को अंजाम तक नहीं पहुंचा पातीं। उनके पद चिह्नों पर चल रहे किसी भी व्यक्ति को वह रणनीतिक गठबंधन का परामर्श देती हैं।


वह कहती हैं कि एक नई तकनीक को बनाना और उसका व्यावसायी करण करना का फीलंबा और कठिन काम होता है। इस वजह से आपको ऐसे साथी चाहिए होते हैं, जो कड़ियों को जोड़ने में आपकी मदद कर सकें।पीके क्लीन में प्रियंका बका या प्रतिदिन रसायन, इंजीनियरिंग,कारोबार के क्षेत्र के अपने साथी विशेषज्ञों की मदद लेती हैं। उनके अनुसार यदि कोई ऐसी तकनी की को बनाना और इसका व्यावसायी करण करना चाहते हैं तो आपको ऐसे लोग चाहिये जिनके लक्ष्य और सपने आपके जैसे हों। ऐसी टीम बनाने के लिए समय लेकर ऐसे लोग साथ मेंलो जो इसे हकीकत में बदल सकें।रसायन विज्ञान का कमाल हमें प्लास्टिक को तेल में तब्दील करना आधुनिक जमाने कीजादूगरी लग सकती है।

लेकिन पीके क्लीन की पेटेंट की गई विधि की वैज्ञानिक प्रक्रिया के पीछे कोई जादू नहीं है। प्रियंका बताती हैं कि प्लास्टिक कार्बन के करोड़ों अणु ओंके पंक्तिबद्ध होने से बनता है। हमारी प्रक्रिया इन अणुओं की लंबी शृंखला को छोटा बना देती हैं, ठीक उस तेल की तरह से जिनसे यह प्लास्टिकबना है। जैसे कि उन्होंने बताया किउदाहरण के तौर पर डीजल 12 से20 कार्बन अणुओं की शृंखला से बनता है। हालांकि पीके क्लीन की प्रक्रिया के सटीक विवरण को गुप्त रखा गया है। उनका कहना है कि ऊष्मा और उत्प्रेरक - परिवर्तन के लिए अतिरिक्त रसायन- का मिश्रण इसमें मुख्य सामग्री है।

उनके अनुसार इस प्रक्रिया के अंत में आपको जो सामग्री मिलती है, उसमें 75 फीसदी स्वच्छ,प्रदूषण रहित तेल होता है। 20 फीसदी प्राकृतिक गैस होती है, जिसे हम ताप के लिए सिस्टम मेंरिसाइकिल कर देते हैं। पांच प्रतिशत सामग्री बच जाती है जो बोतलों परलगे लेबल जैसी चीजों की होती है। उच्च ऊर्जा का तेल बनाने के लिहा जसे यह बहुत ही ज्यादा प्राप्ति दर है।यदि आप इनके बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो आप इनकी वेबसाइट www.pkclean.com पर जाकर जान सकते हैं।

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