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Friday 24 March 2017

दिल्ली के तीन किशोरों ने वायु प्रदूषण को नापने के लिए बनाया ड्रोनकुछ करने के लिए उम्र और तजुर्बे से ज्यादा जज्बे की जरूरत होती है। अगर आपके अंदर किसी काम को करने का जज्बा है तो आपकठिन से कठिन कार्य भी सफलतापूर्वक कर सकते हैं और दूसरों के लिए मिसाल बन सकते हैं।ऐसी ही एक मिसाल संचित मिश्रा, त्रियम्बके जोशी और प्रणव कालरा नेकायम की है। जिन्होंने छोटी-सी उम्र में ही एक ऐसा यंत्र बना डाला है जो पर्यावरण के लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है। हालांकि यह यंत्र आमतौर पर सुरक्षा के लिए प्रयोग में लाया जाता है। लेकिन इन तीन दोस्तों का मानना है कि उनका यह ड्रोन नामक यंत्र पर्यावरण की दिशा में काफी उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

इस ड्रोन को बनाने कामुख्य उद्देश्य यही है कि लोग यह जान सकें कि जिस वातावरण में वेसांस ले रहे हैं उसमें कौन सी गैस कितनी मात्रा में मौजूद है। उनका मानना है कि इस उपकरण के प्रयोगसे समाज में पर्यावरण के प्रति लोग सजग व जागरूक होंगे और पर्यावरण का सही संतुलन बनाने की दिशा में सही व प्रभावशाली प्रयास हो सकेंगे।संचित और त्रियम्ब के दोनों मात्र सोलह साल के हैं और प्रणव मात्र पंद्रह साल का है। संचित ने बताया कि वे और त्रियम्ब के एकही स्कूल में पढ़ते थे। जब वे नौवीं कक्षा में थे तो उसी दौरान वे प्रतियोगिता के लिए दूसरे स्कूल में गए।


वहीं उनकी मुलाकात प्रणवसे हुई और तीनों में अच्छी दोस्ती हो गई। तीनों को तकनी की विषयों में काफी रूचि थी। तीनों ही अपनी ज़िंदगी में अपनी पढ़ाई के साथ कुछ नया करना चाहते थे। इस दौरान संचित ड्रोन पर रिसर्च कर रहा था। तभी प्रणव के दिमाग में यह विचार आया कि क्यों न एक ऐसाड्रोन बनाया जाये जो कि पर्यावरण की दिशा में काम कर सके। फिर तीनों दोस्त इस ड्रोन को बनाने की तैयारी में जुट गये। पिछले साल फरवरी में उन्होंने इस काम को करना शुरू किया था और जुलाई2015 तक उनका यह ड्रोन बन कर तैयार हो गया।

लेकिन अभी भी ये तीनों इसे अपग्रेड करने की तैयारी में जुटे हुए हैं।त्रियम्बके ने बताया कि हमारा यह ड्रोन पर्यावरण की सही रीडिंग दे रहा है लेकिन अभी उसरीडिंग को पर्यावरण विशेषज्ञ ही समझ सकते हैं। वे इसे और अपग्रेडकर रहे हैं और इसका सरली करण करके इस प्रकार बना रहे हैं ताकि एक आम इंसान भी इसे समझ सके।साथ ही यह जान सके कि इस समय हमारे वातावरण में कितनी मात्रा में कौन सी गैस मौजूद है। तीनों दोस्तों का दावा है कि उनका यह ड्रोन पर्यावरण में मौजूद सभी गैसों की मात्रा की सटीक जानकारी दे रहा है। लेकिन अभी इनके इस उपकरण को किसी मान्यता प्राप्त संस्था सेमान्यता नहीं मिली है 

लेकिन तीनों अपने इस प्रयास को और अपग्रेड करने के बाद ही इसे संबंधित संस्थाके समक्ष वैद्यता के लिए प्रस्तुत करना चाहते हैं। संचित, त्रियम्बके और प्रणव का मानना है कि बेशक अभी ड्रोन पर बैन है लेकिन वे इसे और अपग्रेड करने के बाद सरकार के समक्ष प्रस्तुत करेंगे और बताएंगे कि उनका यह प्रोजेक्ट सरकार और एक आम इंसान के लिए भी किस प्रकार उपयोगी है। तीनों दोस्तों के लिए ड्रोनको तैयार करना आसान नहीं था, क्योंकि ये तीनों अभी छात्र है और इनके इस प्रोजेक्ट पर काफी खर्च भी आया। इसके अलावा प्रोडक्ट बनानेके लिए इन्हें अपने घर से लगभग दो घंटे का सफर तय करके दिल्ली के नेताजी सुभाष पैलेस, पीतम पुरा में मेकर्स स्पेस में जाना होता था।

यहां सभी मिलकर प्रोडक्ट की डिजाइनिंग से लेकर मेकिंग तक काम करते थे। वहां के बाकी लोगों ने भी इनकी इस काम में बहुत मदद की। प्रोडक्ट बनाते वक्त इस बात काभी खास ख्याल रखा गया कि यह पोर्टेबल और कॉम्पेक्ट हो ताकि एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी सेले जाया जा सके।संचित ने बताया कि अपने ख्वाबों को साकार करना इतनाआसान भी नहीं होता। हमारी तरह और भी कई बच्चे हैं जो कुछ करना चाहते हैं इसलिए सरकार को चाहिएकि वे अधिक से अधिक मेकर्स स्पेस बनाएं ताकि वे बच्चे जो कुछ हटकर सोचते हैं और अपने प्रयोग करना चाहते हैं उन्हें एक मंच मिल सके।

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